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ख़ेलाफ़त-जानशीनी दर सेफ़ात-ओ-कमालात – दूसरा हिस्सा

ह़ज़रत रसूले ख़ुदा सल्लल्लाहो अ़लैहे व आलेही व सल्लम की एक और ज़िम्मेदारी लोगों के नफ़्स को पाक-ओ-पाकीज़ा करना था जैसा सूरए मुबारका जुमुआ़ में इरशादे ख़ुदा वन्दी है: “वयुज़क्कीहिम” जिसकी ज़िम्मेदारी लोगों के नफ़्स को पाक बनाना हो ख़ुद उसको पाकीज़गी की बलन्द तरीन मन्ज़िल पर फ़ाएज़ होना चाहिए। ख़ुदा ने अ़ज़मते रसूल सल्लल्लाहो […]

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ख़ेलाफ़त-जानशीनी दर सेफ़ात-ओ-कमालात – पहला हिस्सा

दीने मुक़द्दसे इस्लाम में इमामत और ख़ेलाफ़ते ख़ुदा और रसूल सल्लल्लाहो अ़लैहे व आलेही व सल्लम का अ़क़ीदा एक नेहायत बुनियादी मसअला है। इसकी अहम्मीयत का अन्दाज़ा इस बात से बख़ूबी लगाया जा सकता है लोगों ने ह़ज़रत रसूले ख़ुदा सल्लल्लाहो अ़लैहे व आलेही व सल्लम की वफ़ात के बअ़्‌द ख़लीफ़ा के इन्तेख़ाब को आँह़ज़रत […]

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इमामत, फ़ितरत और अख़्लाक़ी क़दरें

ख़ुदावंद आ़लम के नज़्दीक़ दीने इस्लाम ही एक तन्हा दीन है जिस के अ़लावा कोई और दीन क़ाबिले क़बूल नहीं होगा। इस एक क़बूल शुदा दीन के बारे में रसूले ख़ुदा सल्लल्लाहो अ़लैहे व आलेही व सल्लम का इर्शाद है कि दीने इस्लाम दीने फ़ितरत है। हर इंसान फ़ितरते इस्लाम पर पैदा होता है लेकिन […]

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