ग़दीर

वेलायत-ओ-बराअत

येह एक दिलचस्प ह़क़ीक़त है कि किसी भी मौज़ूअ़्‌ में अज़्दाद–ओ–तनाक़ुज़ात को बाहम यक्साँ मक़ाम देकर मुस्बत पह्लू से लेबासे ह़क़ीक़त नहीं पहनाया जा सकता ख़ाह वोह किसी शक्ल में हो जैसे अ़द्‌ल–ओ–ज़ुल्म, ख़ैर–ओ–शर…. इस्लाम ने एक ही को ह़क़ीक़त का उ़न्वान देकर अहम्मीयत दी है अ़द्‌ल पसन्दीदा है, ज़ुल्म नापसन्दीदा, ख़ैर मम्दूह़ है शर […]

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