इमामत

ख़ैरुल बरीया – क़ुरआन और अह़ादीस की रोशनी में

सद्रे इस्लाम से लेकर अब तक क़ुरआन के इस नुक़्तए नज़र के बारे में मुख़्तलिफ़ नज़रियात और मुख़्तलिफ़ मआ़ना और मिस्दाक़ बताए जाते हैं और मुफ़स्सेरीन के दरमियान भी एख़्तेलाफ़े नज़र पाया जाता है लेकिन हमेशा से शीअ़याने अह्लेबैत अ़लैहिमुस्सलाम के पैरवकारों के लिए अह्लेबैत अ़लैहिमुस्सलाम और क़ुरआन हमेशा मश्अ़ले राह रहे हैं। इसलिए हम […]

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हुज्जते मज़हब, मोअ़्‌जिज़ नुमा किताब “अ़बक़ातुल अनवार” का तआ़रुफ़

दीने इस्लाम और उसके मुख़्तलिफ़ मसाएल में जो मन्ज़ेलत-ओ-अहम्मीयत इमामत को ह़ासिल है वोह नेहायत दर्जा बलन्द और ग़ैर मअ़्‌मूली है। ह़ज़रत ख़ातेमुल अम्बिया सल्लल्लाहो अ़लैहे व आलेही व सल्लम ने रेसालत के आग़ाज़े तब्लीग़ ही में वेलायत-ओ- जानशीनी के मसअले को पेश कर दिया था। और अइम्मए मअ़्‌सूमीन अ़लैहिमुस्सलाम इमामत के मक़ाम-ओ-मन्ज़ेलत को मुसलसल […]

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रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अ़लैहे व आलेही व सल्लम ने शेख़ैन को इस क़द्र अपने क़रीब क्यों आने दिया?

इस तारीख़ी ह़क़ीक़त से इन्कार नहीं किया जा सकता कि “शेख़ैन” यअ़्‌नी ख़लीफ़ए अव्वल–ओ–दुवुम दोनों का शुमार हिजरत करने वालों में होता है, यअ़्‌नी वोह गिरोह जिसने ह़ुज़ूर सल्लल्लाहो अ़लैहे व आलेही व सल्लम की हिजरत से पहले ही मक्का में इस्लाम क़बूल कर लिया था। इस गिरोह का इस्लामी समाज में शुरूअ़्‌ से ही […]

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पैग़ामे ग़दीर इस्लामी इत्तेह़ाद का मह़्वर है

अगरचे वाक़अ़ए ग़दीर आज चौदह सौ साल से ज़्यादा अपना तारीख़ी सफ़र तय कर चुका है, मगर ह़क़ीक़ते ग़दीर हर रोज़ और आने वाले दिनों में हर उस मुसलमान के लिए दीनी अ़क़ीदे और आईनए इस्लाम–ओ–क़ुरआन और आँह़ज़रत सल्लल्लाहो अ़लैहे व आलेही व सल्लम पर ईमान रखने वाले सुन्नत पर अ़मल करने के तक़ाज़ों के […]

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मोह़ब्बते अ़ली अ़लैहिस्सलाम – जुम्ला एअ़्‌तेक़ादात

अगर तमाम बनी आदम चाहें कि सिवाए अम्बियाए ए़ज़ाम अ़लैहिमुस्सलाम किसी और शख़्स को जामेअ़्‌ जुम्ला फ़ज़ाएल का ह़ामिल साबित करें तो हरगिज़ किसी फ़र्दे बशर को न पाएंगे…….. ……..बल्कि अगर येह कहा जाए कि हर नबी अ़लैहिस्सलाम में भी तमाम सिफ़ाते कमाल का साबित होना मुश्किल है, तो ह़क़ है। लेकिन अ़ली अ़लैहिस्सलाम की […]

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ख़ेलाफ़त-जानशीनी दर सेफ़ात-ओ-कमालात

दीने मुक़द्दसे इस्लाम में इमामत और ख़ेलाफ़ते ख़ुदा और रसूल सल्लल्लाहो अ़लैहे व आलेही व सल्लम का अ़क़ीदा एक नेहायत बुनियादी मसअला है। इसकी अहम्मीयत का अन्दाज़ा इस बात से बख़ूबी लगाया जा सकता है लोगों ने ह़ज़रत रसूले ख़ुदा सल्लल्लाहो अ़लैहे व आलेही व सल्लम की वफ़ात के बअ़्‌द ख़लीफ़ा के इन्तेख़ाब को आँह़ज़रत […]

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वेलायत-ओ-बराअत

येह एक दिलचस्प ह़क़ीक़त है कि किसी भी मौज़ूअ़्‌ में अज़्दाद–ओ–तनाक़ुज़ात को बाहम यक्साँ मक़ाम देकर मुस्बत पह्लू से लेबासे ह़क़ीक़त नहीं पहनाया जा सकता ख़ाह वोह किसी शक्ल में हो जैसे अ़द्‌ल–ओ–ज़ुल्म, ख़ैर–ओ–शर…. इस्लाम ने एक ही को ह़क़ीक़त का उ़न्वान देकर अहम्मीयत दी है अ़द्‌ल पसन्दीदा है, ज़ुल्म नापसन्दीदा, ख़ैर मम्दूह़ है शर […]

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मोह़ब्बते अ़ली अ़लैहिस्सलाम – जुम्ला एअ़्‌तेक़ादात

अगर तमाम बनी आदम चाहें कि सिवाए अम्बियाए ए़ज़ाम अ़लैहिमुस्सलाम किसी और शख़्स को जामेअ़्‌ जुम्ला फ़ज़ाएल का ह़ामिल साबित करें तो हरगिज़ किसी फ़र्दे बशर को न पाएंगे…….. ……..बल्कि अगर येह कहा जाए कि हर नबी अ़लैहिस्सलाम में भी तमाम सिफ़ाते कमाल का साबित होना मुश्किल है, तो ह़क़ है। लेकिन अ़ली अ़लैहिस्सलाम की […]

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अह्लेबैत अ़लैहिमुस्सलाम के वसीले से अल्लाह से मदद मांगना

कुछ मुख़ालेफ़ीन शीओ़ं पर एअ़्‌तेराज़ करते हैं कि अह्ले तशय्योअ़्‌ ह़ज़रात रिज़्क़-ओ-फ़ज़्ल, कामयाबी-ओ-सेहत और दौलत जैसी नेअ़्‌मतों की बाज़याबी के लिए अह्लेबैत अ़लैहिमुस्सलाम के वसीले के क़ाएल हैं यहां तक कि बारिश, अच्छी फ़स्ल वग़ैरह जैसे क़ुदरती मज़ाहिर के लिए भी वोह अह्लेबैत अ़लैहिमुस्सलाम को वसीला बनाते हैं। वोह लोग येह दलील देते हैं कि […]

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इमामत, फ़ितरत और अख़्लाक़ी क़दरें इन्नद्दी-न इ़न्दल्लाहिल इस्लाम

ख़ुदावंद आ़लम के नज़्दीक़ दीने इस्लाम ही एक तन्हा दीन है जिस के अ़लावा कोई और दीन क़ाबिले क़बूल नहीं होगा। इस एक क़बूल शुदा दीन के बारे में रसूले ख़ुदा सल्लल्लाहो अ़लैहे व आलेही व सल्लम का इर्शाद है कि दीने इस्लाम दीने फ़ितरत है। हर इंसान फ़ितरते इस्लाम पर पैदा होता है लेकिन […]

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गो टू ऊपर